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अंतरिक्ष युद्धम 19

    जनडोर ग्रह से स्पेसक्राफ्ट का आना

    
    घरघराहट की एक आवाज ने सुबह-सुबह सबकी नींद खोल दी थी। जॉर्ज के लिए वह आवाज जानी पहचानी थी। वो बेखुबी जानता था कि यह आवाज जनडोर ग्रह पर पाए जाने वाले छोटे स्पेसक्राफ्टों की है। आवाज की तीव्रता इतनी थी कि मिशा भी अपने कान पर हाथ रखते हुए उठी थी और राज भी पूरी तरह से बौखला गया था। जोमियो ने किसी दुश्मन के संदेह में अपने हथियार उठा लिए थे। लेकिन जब सभी ने जॉर्ज को निश्चिंत देखा तो उन्होंने भी अपनी अपनी फिक्र छोड़ दी। राज ने अपना बिस्तर छोड़ा और बाहर आकर ठंडी हवाओं के झोंकों के साथ ऊपर आसमान की तरफ देखा। चार छोटे-छोटे स्पेसक्राफ्ट जमीन पर उतरने की तैयारी में थे। ठीक उसके पीछे मिशा आई और अद्भुत हवा की खुशबू अपने शरीर में उतारते हुए नजर आसमान की तरफ कर दी। चार छोटे-छोटे स्पेसक्राफ्ट लेकिन अपने आप में उन्नत। यह स्पेसक्राफ्ट हमला करने में भी सक्षम थे। हवा को एक जोरदार धक्का देते हुए तीनों स्पेसक्राफ्ट ने एक के बाद एक नीचे के लैंडिंग गियर खोल दिए और फिर उनको जमीन से स्पर्श होने दिया। एक हल्के झटके के साथ चुं की लम्बी आवाज हुई और सभी के सभी लांचर एक साथ बंद हो गए। पहले स्पेस क्राफ्ट का दरवाजा ऊपर की ओर उठा तो उसमें जनडोर वासियों की एक महिला सिपाही थी। उन्हीं सिपाहियों में से एक जो हमेशा सोने की वर्दी पहन कर रखते हैं। दूसरे और तीसरे स्पेसक्राफ्ट में जीवन और जैक थें जबकि चौथे में एक पुरुष सिपाही था। जोर्ज अभी तक अंदर था। उसे अपना सूट संभालने में वक्त लग रहा था। वो ऐसे ही सूट को संभालते हुए बाहर आया और हाथ हिलाकर जैक और जीवन को इस बात का इशारा किया कि वह लोग सुरक्षित हैं। इसके बाद घर से नीचे उतरने के लिए उसने सिढियों की बजाय वहां से कूदना ही बेहतर समझा। वैसे भी कमजोर रसिया हर बार उसका भार नहीं सहन कर सकती थी। उसके कूदने के बाद राज और मिशा रस्सी के सहारे ही नीचे उतरे। जोमियो ऊपर से ही सब दृश्य देख रहा था, उसकी नीचे जाने की इच्छा नहीं हो रही थी।
    
    "अच्छा हुआ जो लार्ड की कृपा से सब कुशल मंगल है" जैक लगभग उनके करीब आते हुए बोला। करीब आने के बाद उसने जॉर्ज को एक नजर ऊपर से नीचे देखा और फिर उसके कंधे के पास बने कुछ घावों को स्पर्श किया।
    
    "सब ठीक है, कल शिकारियों से लड़ाई हो रही थी तो चोट लग गई।" इससे पहले जैक सवाल पूछने के लिए हरकत करता जोर्ज ने पहले ही उसे जवाब दे दिया था।
    
    जैक ने गर्दन हिलाकर रास्ता छोड़ दिया ताकि जॉर्ज आगे जाकर स्पेसक्राफ्ट में बैठ सके। फिर जैक ने मिशा और राज की तरफ रुख किया। उनके चेहरे को देखकर साफ बताया जा सकता था कि कल रात उन्होंने भी काफी मशक्कत की। चेहरे पर हल्के चोट के निशान थे जो उन्हें सुबह के इस तरह तरोताजा हवा में भी संघर्षशील दिखा रहे थे। सोने की वर्दी वाली सिपाही इधर उधर देख रही थी। शायद वो अपने साथी की तलाश में थी। स्पेसक्राफ्ट की तरफ जाते हुए जोर्ज ने उसकी तरफ देखा और दूर से ही कहा "हमने उसे खो दिया"
    
    उसके इतना कहते ही सिपाही के साथ साथ जैक और जीवन के चेहरे पर भी सन्नाटा छा गया। वो सब स्तब्ध थें।
    
    "अफसोस... हमने उसे बचाने की कोशिश की थी" जॉर्ज ने अपना वाक्य पूरा किया और स्पेसक्राफ्ट में जाकर बैठ गया।
    
    निराशा सभी के चेहरे पर थी। किसी अपने को खोने का दुख क्या होता है उन्हें हर कोई भलीभांति से जानते था, फिर वह तो थी भी एक सिपाही जिसने अपनी भर प्रयास कोशिश में एक बेशकीमती बलिदान दिया था।
    
    जैक और जीवन वहीं से स्पेसक्राफ्ट की तरफ जाने लगे। राज भी उनके पीछे पीछे चल दिया लेकिन मिशा वहीं खड़ी थी। उसने पीछे मुड़कर ऊपर खड़े जोमियो पर नजर डाली जो उसी की तरफ देख रहा था। मिशा उसकी आंखों में छुपी उदासी को साफ देख सकती थी। उसके चेहरे पर असंतोष था जो शायद या तो वापस जाने की चाह में था या फिर रोनक भरे माहौल के खो जाने का। मिशा ने उसे ज़ोर से कहा — "क्या तुम हमारे साथ चलना चाहोगे.... तुम्हें वहां बेहतर सुविधाएं मिलेगी और इन शिकारियों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा"
    
    मिशा की चिल्लाहट भरी आवाज सभी को सुन गई थी। उसके बोलते ही राज चलते चलते रुक गया था। जैक और जीवन के पैर भी थम गए थे। उन्होंने पलटकर मिशा की तरफ देखा जो ऊपर जोमियो को देख रही थी। जोमियो ने अभी तक उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया था। मिशा फिर बोली — "आखिर क्या सोच रहे हो..?? तुम्हें वहां इससे भी अच्छा घर मिल जाएगा??"
    
    जोमियो फिर चुप था। शायद उसके मन में किसी तरह का द्वंद चल रहा था। लेकिन वह तो द्वंद ना तो उसकी आने वाली जिंदगी के लिए था ना ही उसके इस पेड़ के ऊपर बने घर के लिए। वह किसी और ही चीज के बारे में सोच रहा था। शायद वह इस बात को लेकर विचार मगन था कि क्या जनडोर वासी उसे स्वीकार कर पाएंगे। कोई भी ग्रह दूसरे ग्रह के जिवों को अपने ग्रह पर रहने का अधिकार नहीं देता। और नियम सभी के लिए समान थे। मिशा नीचे खड़ी बार-बार उसे अपने साथ जाने का आग्रह कर रही थी। पीछे से जैक आया और उसने मिशा के कंधे पर हाथ रख उसे बोलने से रोका। मिशा उसकी तरफ पलटी।
    
    "मुझे नहीं लगता वो मानेगा... हमारे पास एक अतिरिक्त स्पेसक्राफ्ट है जो हम सिपाही के लिए लेकर आए थे, अगर वह चाहे तो हमारे साथ जा सकता है। लेकिन उसके जाते ही हमें महान वैनाडा से बात करनी पड़ेगी। फिर महान बनाना ही फैसला करेंगे कि वह ग्रह पर रहेगा या नहीं"
    
    मिशा एक पल के लिए खामोश हो गई। अभी तक तो वह लोग भी महान वैनाडा से नहीं मिले थे। उन्हें इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि महान वेनाडा का व्यवहार कैसा होगा। क्या वह दयालु हौगें या फिर निर्दयी? कुछ भी कह पाना संभव नहीं था?
    
    "हमें कोई आपत्ति नहीं" मिशा न थोड़ा सा रुकने के बाद जवाब दिया "अगर वह रुकने का कहेंगे तो रोक लेगें वरना वो वापस यहां आ जाएगा" वो बेफिक्री से बोली थी। एक बार फिर सभी का ध्यान जोमियो की तरफ चला गया। राज को यह सब काफी अजीब लग रहा था, खासकर रात से। अब आने वाले वक्त में उसके भी धैर्य की परीक्षा होने वाली थी लेकिन तभी जब जोमियों साथ जाने के लिए माने... अन्यथा जो जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा।
    
    जोमियो एकटक नीचे देख रहा था। अचानक उसने कुछ सोचा और अपने कमरे में वापस चला गया। उसके जाते ही मिशा के कंधे उतर गए। उसका इस तरह से जाना शायद उसकी मनाही का संकेत था। वह पलटी और स्पेसक्राफ्ट में जाने के लिए जैक साथ साथ चल दी। जैसे ही उसने स्पेसक्राफ्ट पर चढ़ने के लिए रेलिगं को पकड़ा वैसे ही पीछे से आवाज आई।
    
    "क्या तुम लोग मुझे लेकर नहीं जाओगे" जोमियो अपने एक छोटे से बैग के साथ मुस्कुरा रहा था। उसे देख कर मिशा का चहेरा भी खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक सका। वो अपने बैग के साथ सिपाही के स्पेसक्राफ्ट में आकर बैठ गया।
    
    जल्द ही सभी के सभी स्पेसक्राफ्ट उड़ान भरने के लिए तैयार थी। राज एक बार फिर जोर्ज के साथ बैठा हुआ था। जोर्ज उसे देखकर आसानी से समझ पा रहा था की उसका मुड बिगड़ा हुआ है। क्यों? इसकी वजह भी जॉर्ज जानता था।


    
    जनडोर ग्रह पर वापसी
    
    निर्वात से भरे अंतरिक्ष में 4 घंटे का सफर किसी को भी बड़ा नहीं लगा। पिछले दिनों जिस हिसाब से सभी को अलग-अलग मुसीबतों का सामना करना पड़ा, उस हिसाब से यह क्षण उसकी तुलना में कुछ सुखद थे। राज और मिशा ने इस दौरान काफी कुछ जाना। गैलेक्सी की शासन व्यवस्था, उनके आठ के नियम, जिनमें आठ लॉर्ड, 8 महान, और 8 गुरु का मिश्रण पूरी गैलेक्सी में शांति कायम रखता है। इसके बाद गुरु वुवान की प्रलयकारी शक्तियां जिन्होंने सभी को हिलाकर रख दिया था। मात्र एक ही हमले में जिस तरह से उन्होंने एक विशाल स्पेसशिप को दो हिस्सों में बांट दिया वह किसी भी दिव्य घटना से कम नहीं था। फिर एक जनडोर सिपाही को खोने का अससोस। इस 4 घंटे के सफर में सभी ने पुरानी चीजों को भूल जाना ही बेहतर समझा। वैसे भी उन्हें याद रखने का कोई फायदा नहीं था। एक चीज थी जो अच्छी हुई थी और वो थी जोमियो का साथ आना। शायद इससे उसका कुछ भला हो जाए। जल्द ही स्पेसक्राफ्ट के सामने वाले सीसे पर 4 सुरज के इर्द-गिर्द परिक्रमा करने वाले जनडोर ग्रह की छवि दिखने लगी। मात्र 1 दिन के अंतराल में जनडोर ग्रह पर खासा परिवर्तन होने की संभावना नहीं थी। वो अब भी वैसा ही दिखाई दे रहा था जैसा शुरुआत में था। ग्रह के बाहर मौजूद रिगं और सुरक्षा चक्र को पार करने के बाद चारों स्पेसक्राफ्ट ने वायुमंडल के तीक्ष्ण दवाब को पार किया। हवा के झोंकों ने स्पेसक्राफ्ट को हल्के झटके जरूर दिए थे लेकिन वह एक नॉर्मल घटना थी। अक्सर लैंडिंग के वक्त हवा स्पेसक्राफ्ट पर ऊपर की तरफ दबाव डालती हैं लेकिन इसका खासा असर नहीं पड़ता। हवा के उन दबावों को पार करने के बाद ग्रह की हरियाली एक बार फिर सबके सामने आ गई थी। राज और मिशा के लिए सभी दृश्य जाने पहचाने थे। जोमियो जरूर चीजों को किसी अनंजान मेहमान की तरह अनुभव रहा था। हालांकि वह मन ही मन सोच रहा था कि समाडां ग्रह की भव्यता जनडोर ग्रह की तुलना में कुछ ज्यादा ही है लेकिन फिर भी इसे कम नहीं आंका जा सकता। यह आने वाले समय में उसका नया घर साबित हो सकता है। वैसे भी अपनी पिछली जिंदगी में उसने चोरों की तरह जिंदगी बताई थी , हो सकता है अब उसे कुछ अच्छा करने का मौका मिलें। चारों स्पेसक्राफ्ट लैंडिंग वाली जगह की ओर अग्रसर हुए। शहर की आलीशान बिल्डिंग्स जिनकी ऊंचाई आसमान छू रही थी, वह बिल्कुल स्पेसक्राफ्ट के नीचे ही थी। हालांकि उन्हें सामने के शीशे से से देखना संभव नहीं था, पर दाएं और का शीशा जरूर कुछ बिल्डगों को आंखों को सामने लेकर आ रहा था। एक बड़ी सी चारदीवारी के बीचो-बीच बने ग्राउंड के पास आते ही स्पेसक्राफ्ट की ऊंचाई जमीन से कम होने लगी। यह वही जगह थी जहां जॉर्ज का हाल-फिलहाल में तबाह हो चुका स्पेसक्राफ्ट धरती वासियों को लेकर उतरा था। शहर का मुख्य लैंडिंग पेड। धीरे-धीरे ऊंचाई कम करते हुए स्पेसक्राफ्ट जमीन से मात्र 200 मीटर की ऊंचाई पर आ गए जिसके बाद उन्होंने लेडिंग करने की प्रक्रिया दोहराई। स्पेसक्राफ्ट के अंदर के कुछ बटन दबाएं गए और स्टेशन पर बैठे लोगों से संपर्क कर उन्हें अपनी स्थिति की जानकारी दी गई। नीचे के लैंडिंग गियर खोले गए और धीरे-धीरे ऊंचाई और कम कर दी गई। गति को पहले ही कम कर दिया गया था। लगभग लैंडिंग वाली जगह पर आते आते सभी चीजें धीरे धीरे अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई। लांचर रुक गए और लेडिगं गियर्स ने जमीन से स्पर्श किया।
    
    सभी ने एक-एक कर जमीन पर अपने पैर रखें। सहजता सभी के चेहरे पर निखर कर सामने आ रही थी। राज का ध्यान एक बार फिर से अपने पुराने सवालों पर चला गया। वह सवाल जिसका जवाब वो जानना चाहता था। आखिर उसे यहां क्यों लाया गया। इसका जवाब तो उसे बहुत पहले मिल जाता लेकिन बीच में ही किडनैपिंग हों गई। अब क्योंकि वह वापस आ गया है तो इस सवाल के जवाब के बारे में सोचने का यह बिल्कुल सही वक्त था। अगर उसे इस सवाल का जवाब मिल जाए तो वह आगे की प्लानिंग भी कर सकता था। जैसे यहां से धरती पर वापस जाना और वापस अपने परिवार से मिलना। इसी तरह के हल्के फुल्के विचारों के साथ वह बाकी लोगों के साथ आगे की ओर जा रहा था। मिशा भी उनके बराबर ही चल रही थी और जोमियो भी बगल में ही था। सामने एक टैक्स उन सभी का इंतजार कर रही थी। जैक और जीवन वहीं पर रुक गए जबकि बाकियों को टैक्स में बैठने के लिए अपनी-अपनी अनुकूल जगह मिल गई। जॉर्ज बिल्कुल सामने बैठा था और बाकी सभी इर्द-गिर्द। हालांकि सभी खामोश थे लेकिन आंखें कुछ ना कुछ बातें कर रही थी। जॉर्ज ने टैक्स को वापिस गुरु जीवा के महल की ओर जाने को कहा। राज ने उत्सुकतावश पूछा
    
    "हम महान वेनाडा से कब मिलेंगे... अगर उनसे मुलाकात हो जाती तो हमें हमारे सवालों का जवाब मिल जाता"
    
    "बस, अब हम उसी और हैं। लेकिन फिलहाल गुरु जीवा से मुलाकात ज्यादा जरूरी है।" जॉर्ज जवाब देने के बाद वापस अपनी जगह पर बैठ गया था।
    
    राज की एक नजर टैक्स में अपने सामने बैठी मिशा पर गई। उसके बदलाव अब किसी से भी नहीं छुप रहे थे। उसकी आंखों में जोमियो को लेकर अलग ही आकर्षण था। राज ने मन ही मन गहरी सांस ली‌। जमीन से ऊपर उढता हुआ टैक्स वापस गुरु जीवा के महल की ओर अग्रसर था।

    
    गुरु जीवा
    
    टैक्स गुरु जीवा के महल के सामने रुकी। वो लोग महल के सामने बने बगीचे में थें। जोर्ज पिछली बार की तरह इस बार भी महल के सामने रुक गया। उसने वहीं से जनडोर सिपाही को राज और मिशा अंदर ले जाने के लिए कह दिया था‌। बीते दिन महल के टूटे हुए भागों की मरम्मत कर ली गई थी। सोने के बने खास महल को दुबारा से पहले जैसे करना जनडोर वासियों के लिए ज्यादा मुश्किल काम नहीं था। काम इतनी सुगमता से किया गया था कि कहीं भी हमले के नामों निशान नहीं थे। हालांकि मरम्मत के छोटे-छोटे निशान जरूर दिख रहे थे जिन्हें देखकर पता लग रहा था कि टूटे हुए भागों में दोबारा सोना पिघलाकर भरा गया है। छोटे से गलियारे को पार करते वक्त सबकी नजरें वापिस लंबे-लंबे परदों पर गई। पिछले बार वो लाल रंग के थे लेकिन अब उनका रंग सुनहरा कर दिया गया था। गलियारे के अंत में घुमावदार सीढ़ियां थी जो दूसरी और बाकी के अन्य मंजिलों को जाती थी। सीडीओ के पास से होकर रास्ता सीधे गुरु‌जीवा के दरबार की ओर जाता था। दरबार से जोड़ने वाले दरवाजे के बाहर अब दो की बजाय चार पहरेदार खड़े थे। उन चारों पहरेदारों ने बिना किसी व्यक्तिगत परिचय के दरवाजा खोल दिया। मानो उन्हें पहले से ही आदेश दिया गया हो कि जैसे ही वह लोग आए दरवाजा खोल देना। दरवाजे की दूसरी ओर लंबा चौड़ा हॉल था जहां उन्हें ठीक सामने गुरु जीवा का ऊंचाई पर स्थित सिंहासन दिखाई दे रहा था। राज ने एक नजर ऊपर देखा। उसे एक बार फिर से छत दिखाई दे रही थी जो पिछली बार टूट कर उनके ऊपर गिरने वाली थी। हालांकि महल का डिजाइन इस तरह से था कि छत के टूटने के बावजूद भी महल को खासा नुकसान नहीं पहुंचा था। महल के अंदर बने छोटे-छोटे बुर्ज और मीनारें आधार की तरह ऊपर तक फैली हुई थी। इनकी मजबूती की वजह से महल का हर हिस्सा एक दूसरे में अच्छे से गुथां हुआ था। ठीक किसी रेशम की डोरी के बने गोले की तरह। अगर गोले के किसी भी बाहरी धागे को नुकसान होता है तो इससे गोले के आकार पर कोई खास असर नहीं पड़ता। यह निर्माण का एक अद्भुत नमूना था जो ठीक राज की आंखों के सामने उसे अपनी बेजोड़ मजबूती का उदाहरण दे रहा था। राज ने वापिस ध्यान गुरु जीवा की तरफ किया। सफेद वस्त्र पहने गुरु जीवा और उनकी छवि तथा तेज में नाममात्र का भी अंतर नहीं आया था। सभी ने पास जाकर उन्हें प्रणाम किया और अपनी तरफ से आदर की भावना उनके सामने प्रस्तुत की। वैसे तो वो एक आधुनिक सभ्यता के जीव थे लेकिन इंसानों की तुलना में वह किसी देवता से कम नहीं। कम से कम उनकी तुलना इंद्र देवता से तो की ही जा सकती थी। या फिर ग्रीक साम्राज्य के जियुस से। गुरु जीवा ने अपने सिहासन के हथे से हाथ हटाया और उन सभी को नीचे बने छोटे छोटे सिहासनों पर बैठने के लिए कहा।
    
    सब उन पर बैठ गए। इस वक्त हॉल में राज, मिशा, जोमियो और गुरु जीवा के अलावा और कोई नहीं था।
    
    "मुझे कल ही सूचना मिली थी.." गुरु जीवा ने अपनी सुनहरी और प्रभावी आवाज में बोला "गुरु वुवान के दिव्य शक्ति पुंज ने हमारे ग्रह की सबसे ताकतवर स्पेसशीप को दो हिस्सों में बांट दिया था। जिसके बचाव में तुम लोग स्पेसशिप को छोड़कर स्पेसक्राफ्ट से बाहर निकले, और वहीं रास्ते में हमारे दो स्पेस क्राफ्ट सेक्टर ग्रह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इस बात की सूचना मिलते ही मैंने तुम लोगों को सुरक्षित यहां लाने के लिए अपनी टीम भेज दी थी। हालांकि रात को सफर करना आसान नहीं था क्योंकि रात में अधिक ठंड स्पेसक्राफ्ट के लांचर को प्रज्वलित नहीं होने देती, इसलिए हम लोगों को सुबह सूरज निकलने के करीब समय पर मदद भेजनी पड़ी। खुशकिस्मती से सेक्टर ग्रह पर रात बिताने के बाद भी तुम लोग सुरक्षित हो। तुम्हारा दूसरा साथी 'मिस्टर रावत' कल की दुर्घटना में उन्हें हल्की-फुल्की चोटें आई थी जिन का इलाज वह हमारे यहां के इलाज करने वाले कर्मचारियों से ले रहे हैं।"
    
    मिस्टर रावत की खबर सुनने के बाद राज और मिशा दोनों ने राहत की सांस ली। हालांकि वह पहले से ही आश्वस्त थे कि उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा होगा।
    
    गुरु जीवा आगे बोले "अब तुम लोग खुद को पूरी तरह से सुरक्षित मान सकते हो, क्योंकि उस हमले के बाद हम लोगों ने ग्रह के सुरक्षा चक्र को टेलिपोर्टेशन के लिए बंद कर दिया। अब किसी भी तरह का घुसपैठिया ग्रह पर नहीं आ सकेगा, खासकर तब तक, जब तक हम उसे आने की इजाजत ना दें।"
    
    अपने दोनों ही सुनियोजित पहले से सोचे गए शब्दों को बोलने के बाद उन्होंने अपना ध्यान जोमियो पर केंद्रित किया। " बेशक तुम इन्हीं के जैसे हो लेकिन जो जानकारी मुझे तुम्हारे बारे में दी गई है उसके अनुसार तुम समांडा ग्रह के ही रहने वाले हो। इस नाते आने वाले भविष्य में हमें तुम्हारी मदद की आवश्यकता पड़ सकती है। हो सकता है अगर हम किसी पारंपरिक मुद्दे को लेकर जंग जैसे हालातों से गुजरे तो तुम उनके ग्रह की अच्छी खासी जानकारी हमसे साझा कर सको"
    
    जोमियो ने गर्दन हिलाकर जता दिया कि उन्हें गुरु जीवा की किसी भी बात से ऐतराज नहीं था।
    
    गुरु जीवा आगे बोलते गए "तुम्हारी उपलब्धता को समझते हुए हमने यहां तुम्हारे रहने के लिए व्यवस्था कर दी है, फिलहाल तुम ग्रह पर खेती का काम करोगे और जब तक आवश्यक ना हो तुम्हें सैन्य परक्रम में भर्ती नहीं किया जाएगा।" गुरु जीवा ने आखिर में अपनी नजरें हटा कर संकेत दिया कि उनकी बात खत्म हो चुकी है।
    
    "मुझे कोई एतराज नहीं" जोमियो ने वास्तविकता के परे खेती काम को स्वीकार कर लिया। वैसे तो वह एक अच्छा तलवारबाज था लेकिन शुरुआत में कोई भी ग्रह आते ही अपनी सारी मुख्य जिम्मेदारी उसे सौंप देने वाला नहीं था। और इस बात को वह बखूबी समझता था।
    
    कुछ देर के लिए खामोशी छाई रही। गुरु जीवा ईधर उधर देख रहे थे लेकिन फिर उन्होंने खंगारोते हुए जोमियो को इशारा किया कि अब उन्हें राज और मिशा से अकेले में कुछ बातें करनी है। जोमियो ईशारा समझ गया जिसके बाद वह खड़ा हुआ और प्रणाम कहते हुए दरवाजे की तरफ चला गया। 
    
    गुरु जीवा अब राज और मिशा से अपनी कुछ स्वतंत्र बातें सांझा करने वाले थे। "जैसा कि तुम लोग जानते हो" उन्होंने एक बार फिर अपनी सुनहरी आवाज में दम भरा "हम लोग तुम्हें काफी दूर से लेकर आए थे; अपने किसी खास मकसद के लिए, लेकिन नए पैदा हुए हालातों की वजह से तुम्हें उस मकसद के बारे में बताया नहीं जा सका। अब वक्त आ गया है कि मैं तुम्हें इसकी जानकारी दूं और तुम्हारी मुलाकात महान वेनाडा से करवाऊं। महान वेनाडा ही तुम लोगों को विस्तारपूर्वक समझाएंगे कि तुम्हारा यहां आने का कारण क्या है"
    
    आखिरकार राज को अपनी जिज्ञासा अब लगभग खत्म होते हुए दिखाई पड़ रही थी। महान वेनाडा की मुलाकात के बाद पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर उन्हें यहां क्यों लाया गया। मिशा भी इन्हीं विचारों का सामना कर रही थी। महान वेनाडा से मुलाकात का मतलब है, उन्हें उनके सवालों के जवाब मिलना।
    
    राज और मिशा दोनों ने गर्दन हिलाकर सहमति जताई। गुरु जीवा अपनी जगह से खड़े हुए और ठीक सभा के बीचो-बीच आ गए। उनके खड़े होते ही राज और मिशा भी खड़े हो गए थे। सभा के बीचों बीच आकर उन्होंने राज और मिशा दोनों को अपने पास आने को कहा।
    
    "तुम लोगों को कुछ देर के लिए अपनी सांसों को थाम कर रखना होगा"गुरु जीवा ने आदेशात्मक स्वर में दोनों के हाथ पकड़ते हुए कहा।
    
    "पर वह क्यों.." यकीनन मिशा बिना हड़बड़ाहट के बोली।
    
    "क्योंकि अपने सवालों का जवाब जानने से पहले तुम्हें मेरे साथ किसी गुप्त जगह पर चलना होगा, और वहां जाने के लिए टेलिपोर्टेशन के अलावा और कोई रास्ता नहीं। तुम लोग मेरे साथ टेलिपोर्टेशन करने वाले हो। अपनी आंखें बंद कर लो..."
    
    "टेलिपोर्टेशन" राज और मिशा दोनों के मुंह से बराबर निकला। कहते कहते वह अपनी आंखें बंद कर चुके थे। इसके बाद उन्हें ऐसे लगा जैसे कोई उन्हें किसी अंधेरी जगह की ओर खींच रहा है और वो लोग उसमें धस्तें जा रहे हैं। अचानक बिजली के कड़कने जैसी एक हल्की आवाज हुई और केंद्र में सिमटती हुई रोशनी के साथ तीनों उस सभा में से गायब हो गए।


    अर्थ से मुलाकात
    
    गायब होने के बाद जब वह रोशनी दोबारा नजर आई तो आसपास के दृश्य पूरी तरह से बदल चुके थे। वह सभी किसी गुफा जैसी जगह में थे। राज और मिशा ने इससे पहले कभी टेलिपोर्टेशन नहीं किया था, इसलिए जैसे ही वह दुबारा नजर आए दोनों की सांसें फूल गई थी। मिशा के बाल बिखरे हुए थे और राज का चेहरा शीथिल दिखाई पड़ रहा था। उल्टी की ऊबाईयां दोनों को ही आ रही थी।
    
    "इस तरह से हैरतअंगेज किसी एक जगह से गायब होकर सीधे दूसरी जगह पर प्रकट होना अपने आप में थका देने वाला काम है।" राज ने अपनी हालत को शब्दों में बयां करते हुए गुफा के इर्द-गिर्द नजर मारी। अपने ऊपर काफी ऊंचाई पर पथरीली चट्टानों को देखकर वह सकपकाया। यह गुफा तो नहीं हो सकती, क्योंकि एक गुफा में कभी भी इतनी ऊंचाई नहीं होती। तो फिर वो लोग कहां थे। राज ने महसूस किया कि नीचे उठती हुई हवा में गर्माहट थी जो सीधे उसके नाक में घुसकर जले हुए नमक जैसी खुशबू पैदा कर रही थी। एक लालिमा हर उस जगह पर फैली हुई थी जहां तक उनकी नजर जा रही थी लेकिन इस लालिमा का स्त्रोत कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था। राज ने जिज्ञासावश पूछा।
    
    "आखिर हम कहां हैं??" 
    
    गुरु जीवा निशब्दता के साथ राज की तरफ मुड़े। "तुम्हें आसपास के दृश्य देख कर क्या लग रहा है, हम कहां हो सकते हैं??" 
    
    "किसी तरह की खुफिया जगह में" मिशा ने किसी के इंतजार किए बिना जवाब दिया। 
    
    "हां," गुरु जीवा ने अपनी गर्दन हिलाई "जगह तो खुफिया है लेकिन यहां आने का कोई भी रास्ता नहीं। हम लोग इस वक्त ग्रह की गहराई में उसके गर्भ के अंदर हैं। ऐसी जगह जो ठीक ग्रह की केंद्र से कुछ ऊंचाई पर होती हैं। वैसे तो इसे गर्म होना चाहिए लेकिन मेरे प्रभाव के कारण गर्मी का असर ज्यादा नहीं है। तुम लोग यहां तब तक सुरक्षित हो जब तक मेरे आस पास हो" गुरु जीवा ने मुस्कुराकर दोनों की जिज्ञासा खत्म की।
    
    जगह शुरू में देखने पर तो गुफा जैसी लग रही थी लेकिन गुरु जीवा के अनुसार यह ग्रह के अंदर के ही किसी खास हिस्से में बना कोई क्षेत्र था। यह ग्रह का कोई खोखला भाग भी हो सकता था जो अक्सर मिट्टी की कई परतों की बीच में रह जाता है।
    
    गुरु जीवा आगे की ओर चलने लगे। राज और मिशा ठीक उनके पीछे-पीछे थे। गुरु जीवा बोले "तुम्हारे यहां आने का खास मकसद है जिसे अच्छे से समझने के लिए तुम्हारा इस जगह पर आना जरूरी था। क्योंकि इन सभी की शुरुआत यहीं से हुई थी। खुद महान वेनाडा भी कभी इस बात की कल्पना नहीं कर पाए थे, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि हालात उनकी पकड़ से भी बाहर होंगे। ऐसे में बाहरी मदद लेना ही बेहतर समझा गया"
    
    "क्या इस ग्रह का कोर खत्म हो रहा है??" राज ने आसपास की स्थिति को देखते हुए अपने यहां आने के कारण का अंदाजा लगाया, जो पूरी तरह से तुका ही था।
    
    "नहीं नहीं, बिल्कुल भी नहीं" गुरु जीवा ने उसकी बात को सिरे से नकार दिया।"ग्रह के कोर को कोई खतरा नहीं, बात दूसरी है" 
    
    "दुसरी बात" सोचने के लहजे में राज ने अंगुली अपने मुंह पर रख ली। "जरूर कोई गहरा राज होगा"
    
    गुरु जीवा कुछ देर तक ऐसे ही चलते रहे। उनकी रफ्तार तब धीमी हुई जब सबकी नजरें सामने की एक मशीनी आकृति पर पड़ी। वह फिलहाल दूर थी लेकिन जैसे-जैसे सब उसके पास जा रहे थे उस की छठा सामने आ रही थी। वह मशीनी उपकरण किसी फूल के जैसा था जिसकी ऊंचाई तकरीबन 3 मीटर थी और त्रिज्या 2 मीटर के आसपास। एक सफेद रोशनी उस फूल की पंखुड़ियों के सभी कोणों पर चमक रही थी। राज ने अपना ध्यान पूरी तरह से उससे मशीनी आकृति की तरफ कर दिया। मिशा भी उसे घूर कर देख रही थी। पंखुड़ियां का रंग सुनहरा था जैसा आम तौर पर यहां की चीजों का था। दोनों ने देखा की पंखुड़ियों बीचो बीच एक और आकृति थी जिसका आकार चौकना था। उसकी लंबाई और चौड़ाई देखकर यही अंदाजा लग रहा था कि वह किसी तरह का बक्सा है, जो धरती पर ताबूत से मिलता झुलता था। शायद वो ताबुत ही था। थोड़ा कदमों को और गति देने के बाद सभी उसके पास खड़े थे। गुरु जीवा ने अपनी छड़ आगे की जिससे फूलों की पंखुड़ियों में हलचल होने लगी। वह सभी पंखुड़ियां नीचे जमीन की और धसं रही थी। पहले सामने की बड़ी-बड़ी पंखुड़ियां जमीन के अंदर गई फिर दूसरी परत की छोटी-छोटी पंखुड़ियां। आखिर में पंखुड़ियों का केंद्र और ताबूत ही बचा था। सफेद रोशनी भी गायब हो चुकी थी। गुरु जीवा फिर से आगे की ओर गए और जमीन में धंसी हुई पंक्तियों के ऊपर कदम रखते हुए उसके ऊपर चढ़ गए। राज और मिशा ने भी वैसे ही किया। जमीन में धंसी पंखुड़ियों पर कदम रखे और उसके ऊपर चढ़ गए। 
    
    अब वो लोग बिल्कुल ताबूत के पास थे। ताबूत अद्भुत तरीके से हवा में तैर रहा था। उसके नीचे किसी भी तरह का सहारा नहीं था जो उसे जमीन से ऊपर टिका कर रखें। गुरु जीवा ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाया और ताबूत के ऊपरी हिस्से को हटा दिया। राज और मीशा झुककर अंदर की तरफ देखने लगे। उन्हें अपने सामने एक और करिश्माई छवि नजर आ रही थी। बिल्कुल गुरु जीवा की ही तरह लेकिन उसकी ऊंचाई गुरु जीवा की तुलना में थोड़ी कम थी। उसका शरीर हष्ट पुष्ट था। बाकी एलियंस की तरह उसके बाजू मोटे थे और जाघें चोड़ी। शरीर पर किसी युद्ध के भारी भयंकर निशान थे, उसके चमकदार चेहरे पर भी एक चौड़ा घाव था जिसने उसके गालों को दो हिस्सों में बांट रखा था। छाती के पास वाले हिस्से पर गोल निशान ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने वहां तलवार खोपी हों। वो युद्ध में घायल किसी आखरी योध्दा जैसा लग रहा था जिसने अपने अंतिम समय में भारी भयंकर संघर्ष किया फिर परिणाम स्वरूप इस स्थिति में पहुंच गया। उसकी दशा तो कम से कम इसी ओर संकेत कर रही थी। 
    
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4 Comments

Fiza Tanvi

22-Sep-2021 02:42 PM

Bahut acchi

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Miss Lipsa

30-Aug-2021 08:53 AM

Sandaar part

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Sana khan

07-Jul-2021 03:47 PM

Bahoot khooB😃

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